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आखिर विवादित रामेश्वरम कॉलोनी में भृष्ट कर्मचारियों और भूमाफियाओं ने कर ही दिया खेल

  • पूर्व में एसडीएम व तहसीलदार ने मानकों के विपरीत होने पर लगाई थी रोक।
  • विवादित मीरापुर का सरकारी तालाब पाटकर होती रही प्लाटिंग
  • नही हुआ आज तक मीरापुर के विवादित तालाब का सीमांकन
  • सीमांकन न होने से हो सकते हैं कॉलोनाइजरों के गलत मंसूबे पूरे

मोहित जौहरी@एक्सप्रेस व्यूज
पीलीभीत।पूरनपुर रोड स्थित पिछले दो वर्षों से विवादित रही रामेश्वरम कॉलोनी में भृष्ट राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत से आखिरकार खेल कर ही दिया गया। विवादित रामेश्वरम कॉलोनी जिसको पूर्व में एसडीएम व तहसीलदार ने मानकों के विपरीत बता उसकी प्लाटिंग व 143 होने पर रोक लगा दी थी जिसको भृष्ट राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत से अब क्लीन चिट देते हुए कृषक भूमि को अकृषक भूमि में दर्ज कर 143 में दर्ज करवा दिया गया। बता दें किसी भी कृषक भूमि को औद्योगिक , आवासीय, वाणिज्यिक प्रयोजनों से ही अकृषक बना 143 में दर्ज किया जा सकता है। और किसी भी भूमि को 143 में दर्ज करने हेतु उसके लिये रास्ता होना आवश्यक है ।

भृष्ट राजस्व प्रशासन की देख रेख में 2 वर्षों से लॉकडाउन का फायदा उठाकर भूमाफिया लगातार बिना 143 दर्ज हुए ही प्लाटिंग करते रहे। लगातार शिकायतों के बाबजूद भी पूर्व कानूनगो के द्वारा कभी कोई एक्शन कॉलोनी के संचालको पर नही लिया गया। और अब वर्तमान लेखपाल और वर्तमान कानूनगो के संरक्षण में विवादित भूमि को 143 में दर्ज करवा दिया गया।

विवादित मीरापुर का सरकारी तालाब पाटकर होती रही प्लाटिंग

आपको बता दें कि ये क्षेत्र जिला पंचायत के क्षेत्र में आता है विवादित मीरापुर के सरकारी तालाब की जानकारी लोगो नही है । जिसको पाटकर रास्ता दिखलाकर नियमो को ताक पर रखकर बिना 143 दर्ज हुए ही राजस्व विभाग के भृष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत से लगातार प्लाटिंग की जा रही है। लोगो को इस बात की जानकारी नही है कि रामेश्वरम कॉलोनी का कोई रास्ता नही है । जो है वो विवादित सरकारी तालाब को पाटकर बनाया गया है।

मीरापुर तालाब का सीमांकन न होने से हो रहे कॉलोनाइजरों के गलत मंसूबे पूरे

विदित हो कि पूर्व में एसडीएम द्वारा पैमाइश करवाई गई किंतु भृष्ट राजस्व कर्मचारियों द्वारा उक्त सरकारी तालाब की तूदाबन्दी/सीमांकन नही करवाया गया।।जिससे साफ जाहिर है कि मलाई खाकर भूमाफियाओं को खुली छूट देने का प्रयास पूर्व और वर्तमान कानूनगो व लेखपाल द्वारा किया गया है।
अब कॉलोनाइजर उक्त पाटे गए मीरापुर के तालाब से रास्ता दिखाते हुए जो कि 143में दर्ज नही है अपनी पिपरा भगू की जमीन का लेआउट पास करवा अपने मंसूवे पूरे करने का प्रयास करेंगे।

हैरानी की बात यह है कि ईमानदार छवि बाले एक काबिल जिलाधिकारी को भी ठेंगे पर रखकर राजस्व विभाग के भृष्ट कर्मचारी व लेखपाल गुमराह कर रहे हैं।
सवाल ये है कि जिस भूमि को पूर्व तहसीलदार ने पहले मानकों के विपरीत माना था उन तहसीलदार के जाते ही वही भूमि मानकों के अनुरूप कैसे हो गयी। साफ जाहिर है भ्र्ष्टाचार जड़ें ईमानदार आला अधिकारी को भी अपने बन्धन में बांध सकती हैं। देखना ये है कि ईमानदार छवि वाले जिलाधिकारी कॉलोनाइजरों पर कोई कार्यवाई करते हैं या नही।

बता दें कि पूरनपुर रोड स्थित मानकों के विपरीत रामेश्वरम कॉलोनी विकसित हो रही है जोकि शुरुआत से ही विवादों में रही है। जिसके मालिकों यासीन कादिरी, संजय वर्मा, व भगीरथ पर भृष्ट कर्मचारी शुरू से ही मेहरबान रहे हैं।

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